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समस्त पापनाशक स्तोत्र

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भगवान वेदव्यास द्वारा रचित ' अग्नि पुराण ' में अग्निदेव ने महर्षि वशिष्ठ को विभिन्न उपदेश दियें हैं। इसी पुराण में भगवान नारायण की दिव्य स्तुति की गयी है| महात्मा पुष्कर कहते हैं कि मनुष्य चित्त की मलिनतावश चोरी, हत्या, परस्त्रीगमन आदि विभिन्न पाप करता है, पर जब चित्त कुछ शुद्ध होता है तब उसे इन पापों से मुक्ति की इच्छा होती है। उस समय भगवान नारायण की दिव्य स्तुति करने से समस्त पापों का प्रायश्चित पूर्ण होता है। भगवान नारायण की दिव्य स्तुति ही ' समस्त पापनाशक स्तोत्र ' है। आगे पढ़ें के लिए क्लिक करें ... (Read more..) राधे-कृष्ण !! www.hemantdubey.com www.ramcharitmanas.in

पापमोचनी एकादशी

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  महाराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से चैत्र ( गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार फाल्गुन ) मास के कृष्णपक्ष की एकादशी के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की तो वे बोले : ‘ राजेन्द्र ! मैं तुम्हें इस विषय में एक पापनाशक उपाख्यान सुनाऊँगा , जिसे चक्रवर्ती नरेश मान्धाता के पूछने पर महर्षि लोमश ने कहा था । ’ मान्धाता ने पूछा: भगवन् ! मैं लोगों के हित की इच्छा से यह सुनना चाहता हूँ कि चैत्र मास के कृष्णपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है , उसकी क्या विधि है तथा उससे किस फल की प्राप्ति होती है ? कृपया ये सब बातें मुझे बताइये । लोमशजी ने कहा: नृपश्रेष्ठ ! पूर्वकाल की बात है । अप्सराओं से सेवित चैत्ररथ नामक वन में , जहाँ गन्धर्वों की कन्याएँ अपने किंकरो के साथ बाजे बजाती हुई विहार करती हैं , मंजुघोषा नामक अप्सरा मुनिवर मेघावी को मोहित करने के लिए गयी । वे महर्षि चैत्ररथ वन में रहकर ब्रह्मचर्य का पालन करते थे । मंजुघोषा मुनि...