श्रीमद् भगवद्गीता - परमपूज्य बापूजी के अमृतमय वचन
श्रीमद् भगवद्गीता एक ऐसा ग्रन्थ है जो दिव्य ज्ञान से भरपूर है| इस ज्ञान रूपी अमृतपान से मनुष्य के जीवन में साहस, हिम्मत, समता, सहजता, स्नेह, शांति, सर्वजनहिताय भावना और धर्मं आदि दैवी गुण विकसित हो उठते हैं| इसके पठन व मनन से अधर्म और शोषण का मुकाबला करने का सामर्थ्य आ जाता है| गीता जयंती के अवसर पर संत शिरोमणि परमपूज्य श्री आशाराम बापूजी ने श्रीमद् भगवद्गीता पर तात्विक प्रवचन किया है| बापूजी के प्रवचनों से कुछ अमृतमय अंश प्रस्तुत है, अवलोकन व श्रवण करें: श्रीमद् भगवद्गीता का देवत्व श्रीमद् भगवद्गीता में शांति पाने के ६ उपाय श्रीमद् भगवद्गीता सार भाग - १ श्रीमद् भगवद्गीता सार भाग - २ श्रीमद् भगवद्गीता सार भाग - ३ श्रीमद् भगवद्गीता सार भाग - ४ श्रीमद् भगवद्गीता सार भाग - ५ श्रीमद् भगवद्गीता सार भाग - ६ श्रीमद् भगवद्गीता सार भाग - ७ सादर, हेमंत कुमार दुबे www.hemantdubey.com www.ramcharitmanas.in